बचपन की है किलकरी, परियों सी मैं दिखने वाली

देखो इन आँखों की चुलबुल, मेरे इन हाथों की खटपट
एक मिनिट ना नज़र हटाना, फुर्र से उड़ जाती हूँ सरपट।
पास ना आना पार्थ चाचू, पड़ जाऊंगी तुमपे भारी
झटपट मेरी फोटो खीँचो, फिर बनाऊँगी पोज़ मैं प्यारी।
सीखी नई शरारत मैने, फेंकू सारी चीज़ तुम्हारी
मुँह में सूरज भरकर आती, चिल्लाकर मैं हूँ इठलाती।
जहाँ तहाँ की बातें करती, अपने किस्से बड़े सुनाती
गोल बटन सी आँखें काली, टिमटिम इनको हूँ मटकाती।
मुझे देखकर दुनिया सारी, कितनी खुश है कितनी न्यारी
कोई है बंदर कोई है हाथी, सबकी अपनी आती बारी।
hai toh badhiya yaar... as rhyming as a kids' poem should be...
ReplyDeleteHaan maine us din wapas aate hue sochke likhi thi ki agar wo bolti to kaise bolti...I wanted pic coz pic says everything...:)
ReplyDeleteAti Sundar...
ReplyDeleteAwesomely Awesome..
thanks
ReplyDelete